Exam Materials : भारत में प्राइमरी शिक्षा की स्थिति

September 15, 2016    

14 राज्यों में ही अौसतन 210 से 220 दिन पढ़ाई

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की रिपोर्ट के अनुसार देश के अलग-अलग राज्यों में स्कूली शिक्षा में काफी अंतर है। प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्तर पर सबसे ज्यादा वर्किंग डेज़ 253 बिहार और झारखंड में होते हैं, जबकि सबसे कम 180 नगालैंड और मणिपुर में हैं। इसके अलावा प्राइमरी स्तर पर करीब 60 फीसदी राज्यों मंे औसतन 201 से 220 दिन स्कूल लगते हैं, जबकि अपर प्राइमरी स्तर पर सिर्फ 50 फीसदी राज्यों मंे 201 से 220 दिन का स्कूल होता है। इसी प्रकार अपर सेेकंडरी स्तर पर सबसे ज्यादा 259 दिन असम में और सबसे कम 160 दिन मणिपुर में स्कूल खुले रहते हैं। वहीं, सिर्फ 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साल के 210 से 220 दिन स्कूल खुले होते हैं।

सेकंडरी स्तर पर आधे से ज्यादा राज्यों में स्कूलों में औसत से कम पढ़ाई

एनसीईआरटी के नए सर्वे के अनुसार देश में स्कूल स्तर पर न तो सिलेबस में एकरूपता है, न ही टीचिंग पैटर्न में। अधिकतर राज्यों में प्राइमरी, अपर प्राइमरी और सेकंडरी स्कूलों में औसत से कम पढ़ाई होती है। लैंग्वेज के मामले में भी हर राज्य की अलग नीति है। कहीं मातृभाषा पर जोर है तो कहीं इंग्लिश पर।

विभिन्न राज्यों के कॅरिकुलम में भी फर्क

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश के अलग-अलग राज्यों में स्कूलों के कॅरिकुलम में भी काफी अंतर है। देश के करीब आधे राज्यों में एनसीईआरटी का सिलेबस पूरी तरह लागू नहीं है। 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एनसीईआरटी से निर्धारित कॅरिकुलम को पूरी तरह लागू किया है और किताबों को सिलेबस में शामिल किया है। वहीं, 14 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने एनसीईआरटी के कॅरिकुलम को राज्य बोर्ड के सिलेबस से जोड़कर लागू किया है। इसके अलावा सिर्फ 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां मोरल एंड वैल्यू एजुकेशन को बतौर विषय शामिल किया है। जबकि 16 राज्य ऐसे हैं जहां आर्ट एजुकेशन को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया गया है।

मातृभाषा की पढ़ाई में महाराष्ट्र, बंगाल आगे

रिपोर्ट के अनुसार जो राज्य मातृभाषा को महत्व देते हैं, उनमें पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं। प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्तर पर महाराष्ट्र में मराठी भाषा के लिए सप्ताह में 13 पीरियड होते हैं, जो देश में किसी भी भाषा के लिए किसी भी स्तर पर सबसे ज्यादा है। अांध्रप्रदेश में प्राइमरी स्तर पर तेलुगू के सप्ताह में 12 पीरियड होते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल अपर प्राइमरी स्तर पर बंगाली भाषा के लिए 200 अंकों की परीक्षा लेता है। सेकंडरी स्तर पर पश्चिम बंगाल में बंगाली भाषा के लिए सप्ताह में सबसे ज्यादा नौ पीरियड होते हैं।

आईआईएम, कलकत्ता शुरू करेगा जनरल मैनेजमेंट में ऑनलाइन कोर्स

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कलकत्ता पोस्टग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जनरल मैनेजमेंट (पीजीसीजीएम) ऑनलाइन प्रोग्राम शुरू करने की योजना बना रहा है। 2 से 5 साल के वर्किंग एक्सपीरियंस वाले एग्जीक्यूटिव इस प्रोग्राम में प्रवेश ले सकेंगे। इस प्रोग्राम के द्वारा वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए मैनेजमेंट प्रैक्टिस को समझने में ज्यादा मदद मिलेगी। यह कोर्स उन छात्रों के लिए ज्यादा उपयोगी है जो जॉब करते हुए आईआईएम जैसे शीर्ष संस्थानों से मैनेजमेंट कोर्स करना चाहते हैं। गौरतलब है कि पीजीसीजीएम पार्ट टाइम प्रोग्राम की तरह डिजाइन किया गया है। इस प्रोग्राम की पढ़ाई उम्मीदवारों को ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे उनके काम पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्राइमरी स्तर पर असम में सबसे कम पढ़ाई, सेकंडरी में अरुणाचल प्रदेश आगे

सेकंडरी स्तर पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और गोवा में प्रतिदिन औसतन 5 घंटे पढ़ाई होती है, जबकि सबसे ज्यादा 6.30 घंटे अरुणाचल प्रदेश और झारखंड में होती है। इसके अलावा 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिन में औसतन 6 घंटे की क्लासेस लगती हैं। प्राइमरी स्तर पर 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिन में औसतन 6.30 घंटे और अपर प्राइमरी स्तर पर 6 घंटे पढ़ाई होती है। प्राइमरी स्तर पर असम में दिन में औसतन सबसे कम 2.30 घंटे की पढ़ाई होती है।

इंग्लिश पर सबसे ज्यादा जोर जम्मू-कश्मीर में

स्कूलों में अपर प्राइमरी स्तर पर इंग्लिशविषय के एक सप्ताह में सबसे ज्यादा पीरियड जम्मू कश्मीर में होते हैं। रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर मे इंग्लिश के एक सप्ताह में अौसतन नौ पीरियड होते हैं। 25 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां इंग्लिश को सप्ताह में 6 या ज्यादा पीरियड दिए जाते हैं। जबकि 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां इंग्लिश को 5 पीरियड ही दिए जाते हैं। इनमें बिहार, कर्नाटक, केरल, झारखंड, उत्तरप्रदेश और गुजरात शामिल हैं। इसके अलावा 29 राज्यों में अपर प्राइमरी स्तर पर एनुअल एग्जाम में इंग्लिश का पेपर 100 अंकों का होता है। 2 राज्य ऐसे हैं, जहां 80 और 4 राज्य ऐसे हैं, जहां 50 अंकों का पेपर होता है। 50 अंकों के पेपर वाले राज्यों में केरल, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।

स्कूली बच्चों को बैग के बोझ से निजात दिलाने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन ने सभी स्कूलों में कक्षा पहली और दूसरी के छात्रों को होमवर्क नहीं देने और स्कूल बैग नहीं ले जाने के लिए सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर में कहा गया है कि स्कूल, टीचर और पैरेंट्स को बस्ते का बोझ कम करने के प्रति गंभीर होना चाहिए। भारी बैग उठाने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस उम्र में ही छोटे बच्चे की रीढ़ की हड्‌डी के विकसित होने का महत्वपूर्ण समय होता है । ऐसे में भारी बैग उठाने से बच्चों की कमर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा होती है। गौरतलब है कि तमिलनाडु, केरल और दिल्ली जैसे राज्यों में स्कूली बैग का बोझ कम करने के लिए पहले से ही विशेष दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं।

Source :- दैनिक भास्कर

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