- यह एक ऐसी तकनीक है, जो हमारे सूचना तंत्र के केंद्रीकरण की समस्या का हल हो सकती है।
- इस तकनीक के द्वारा किसी एक बही (Ledger) की नकल को अलग-अलग संबद्ध लोगों को उपलब्ध कराया जा सकेगा।
- अभी तक एक बही तक एक केंद्रीकृत एजेंसी की ही पहुँच होती थी। इसे साझा करने में हैकिंग जैसे अनेक खतरे होते थे।
- अभी तक इस ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग बिटकॉयन एवं क्रिप्टीकरेंसी के लिए ही किया जाता रहा है।
- एडवांस क्रिप्टोग्रेफी तकनीक के द्वारा ब्लॉकचेन इस बात की सुरक्षा देता है कि एक सूचना डाले जाने के बाद उसे पहले से तय पैमाने का पालन करके ही बदला जा सकेगा।
- इस विकेंद्रीकृत तकनीक में किसी तरह के साइबर अटैक या हैकिंग के लिए कोई गंुजाइश नहीं रह जाती है।
- इस तकनीक के द्वारा किसी बही तक पहुंच रखने वाले लोग पहले से तय पैमाने के अनुसार अपने बदलाव कर सकते हैं। ये परिवर्तन तुरंत ही बही या लैजर में दिखाई देने लगेंगे और सभी विश्वसनीय लोगों के पास पहुंच जाएंगे, ताकि किसी भी बिंदु पर तत्काल सामूहिक निर्णय लेना संभव हो सके।
तकनीक को अपनाने के लाभ-
- आज हमारे देश में सबसे ज्यादा धोखा-धड़ी रियल एस्टेट के क्षेत्र में हो रही है। संपत्ति के पंजीकरण में पारदर्शिता की कमी है। इस तकनीक से भूमि-दस्तावेजों में पारदर्शिता आ जाएगी। लोगों को भूमि सौदे में धोखे-बाजी से बचाया जा सकेगा।
- कार्पोरेट क्षेत्र की सूचनाओं को विकेंद्रीकृत लैजर या बही के द्वारा सरकार, बैंक एवं निवेशकों तक सही समय पर पहुँचाकर उसे एकीकृत किया जा सकेगा।
- जन कल्याण की अनेक योजनाओं के डाटा को ट्रैक करके और समय पर उसका फीडबैक देकर इन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सकेगा।
- ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाने के लिए राज्यों को आगे आने की आवश्यकता है। जितनी जल्दी इस तकनीक को अपनाया जाएगा, उतनी जल्दी कई क्षेत्रों में पारदर्शिता की उम्मीद की जा सकती है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ में अनंत पद्नामन के लेख पर आधारित।(afeias)
Current Content : ब्लॉकचेन तकनीक
August 27, 2016 Labels: cgpsc
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