छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के द्वारा छत्तीसगढ़ी को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसुची में सम्मिलित कराना मुख्य उद्देश्य है और इसे राजकाज की भाषा में उपयोग लाना।
राज्य के विचारों की परम्परा और राज्य की समग्र भाषायी विवधता के परिरक्षण, प्रचलन और विकास करने तथा इसके लिये भाषायी अध्ययन, अनुसंधान तथा दस्तावेज संकलन, सृजन तथा अनुवाद, संरक्षण, प्रकाशन, सुझाव तथा अनुशंसाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ी पारम्परिक भाषा को बढ़ावा देने हेतु शासन में भाषा के उपयोग को उन्नत बनाने के लिए ‘‘छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग’’ का गठन किया गया है।
आयोग के प्राथमिक लक्ष्य एवं उद्देश्य निम्नांकित हैं:-
1. राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराना
2. राजकाज की भाषा में उपयोग
3. त्रिभाषायी भाषा के रूप में प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में पाठ्यक्रम में शामिल करना
वर्तमान में छ०ग० राजभाषा आयोग के अध्यक्ष – श्री विनय कुमार पाठक
इनके द्वारा रचित रचनाएं – छत्तीसगढ़ी साहिय अऊ साहियकार (प्रथम समीक्षात्मक रचना)
– अकादसी अउ अनचिन्हार
– एक रुख एकेच शाखा
प्रशासनिक शब्दावली
- अवज्ञा – नई मानना, विरोध डहकना
- अपर सचिव – अतकहा सचिव, आगरहा सचिव
- अपराध – दोस, कसुर
- अपराधी – अपराध करईया, कसुरवार
- अपरिहार्य – बड़ जरुरी, कुछ कारन ले
- अपवृध्दि – अपविरधी
- अपूरित मांग – बिना पुरा होवे मांग
- उपेक्षा, आवश्यकता – जरुरत
- अप्रयोज्य – लागु नई होने वाला, अपरयोज्य
- अप्रत्याशित – बिन उम्मीद, अनचेतहा, अकलपित
- अपात्र – लाइक नईये
- अपालन – जेकर पालन नइ करेगे,
- अपाठय – अइसपस्ट, कोड़ो-मोड़ो
- अपील – गोहार, गोहारना, अपन बात ल रखना
- अमान्य करना – हटा देना,
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