- स्वतंत्रता के पावन पर्व पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के वीरो की 1857 के क्रांति एवं स्वतंत्रता अभियान में सहभागिता का उल्लेख किया। जिसमें आदिवासी समाज के वीर गैंद सिंह, वीर गुंडाधुर और वीर नारायण सिंह के विशेष योगदान एवं शहादत से इस क्षेत्र में क्रांति आई। जिससे समाज के लोगो ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
- अपने भाषण में प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा योजना का उल्लेख किया। विगत वर्ष सुखे के कठिन दौर में छत्तीसगढ के किसानों ने धैर्य नहीं खोया और अपने साहस का परिचय दिया,कठिन परिस्थितियों से भी आगे निकल आए। जिन किसानों के फसल का नुकसान हुआ उनको फसल बीमा के तहत उचित मुआवजा मिला और किसानों को संकट से उबरने मे साहस मिला।
- 32 लाख से अधिक किसानों को ‘सॉइल हेल्थ कार्ड’ उपलब्ध करा रहे हैं ताकि वे अपने खेत के अनुरूप ज्यादा उत्पादन देने वाली फसलें पैदा करें। इसके लिए 26 पूर्ण प्रयोगशालाएं और 111 लघु प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं।
- दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और गरियाबंद जिलों को पूर्णतः जैविक जिला और शेष 23 जिलों के एक-एक विकासखण्ड को जैविक कृषि क्षेत्र बनाया जा रहा है।
- इस वर्ष ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ प्रारंभ हो रही है, जिसमें ड्रिप संयंत्र की स्थापना हेतु 40 से 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उद्यानिकी फसलों की सुरक्षा के लिए बाड़ या फेंसिंग निर्माण की योजना शुरू की गई है, जिसमें किसानों को आर्थिक मदद दी जाएगी।
- प्रदेश में अभी भी 813 गांव ऐसे हैं, जिनका भूमि सर्वेक्षण नहीं हुआ है, जिसके कारण वहां का कोई स्थायी भू-अभिलेख नहीं है। इससे किसानों को अपना हक सिद्ध करने में कठिनाई होती है। अब हमने निर्णय लिया है कि दो वर्ष के भीतर ऐसे सभी गांवों का सर्वेक्षण पूर्ण कर लिया जाए।
- तेन्दूपत्ता की तरह अन्य लघु वनोपजों का लाभ वनवासियों को दिलाने की जो पहल की थी, वह निरंतर आगे बढ़ाई जा रही है। विगत वर्ष 14 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया, जिसका संग्रहण पारिश्रमिक 204 करोड़ रू. और विगत वर्षों का बोनस 73 करोड़ रू. संग्राहक परिवारों को वितरित किया गया है।
- इमली, चिरौंजी-गुठली, महुआ-बीज, लाख, साल-बीज की खरीदी भी हमने ढाई वर्ष पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर शुरू की थी, जिससे संग्रहकर्ताओं को अब तक 71 करोड़ रू. की आय हुई।
- वन्य प्राणियों से होने वाली जनहानि के लिए दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि 3 लाख रू. से बढ़ाकर 4 लाख रू. कर दी गई है। पशु हानि की राशि 20 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रू. कर दी गई है।
- हाथी प्रभावित क्षेत्रों में फसल को हुए नुकसान की भरपाई की दर 6 हजार रू. से बढ़ाकर साढ़े 22 हजार रू. प्रति हेक्टेयर कर दी गई है।
- प्रदेश को हरा-भरा बनाए रखने के लिए ‘हरियर छत्तीसगढ़’ योजना के अंतर्गत 10 करोड़ पौधों का रोपण इस वर्ष किया जा रहा है।
- छह दशक में जो सिंचाई क्षमता 23 प्रतिशत बन पाई थी, उसे हमने एक दशक में बढ़ाकर 34 प्रतिशत से अधिक कर दिया है। एक नई पहल करते हुए हमने ‘लक्ष्य भागीरथी अभियान’ शुरू किया है, और 106 अपूर्ण परियोजनाओं की पहचान कर इन्हें जल्दी पूर्ण करने की कार्ययोजना बनाई गई है। इस तरह आगामी एक वर्ष में 88 योजनाएं पूर्ण कर 71 हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित की जाएगी।
- हम ‘सौर सुजला योजना’ शुरू कर रहे हैं, जिससे तीन वर्षों में 51 हजार सोलर-पम्प स्थापित किए जाएंगे। इस वर्ष 11 हजार सोलर-पम्प स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा ऊर्जा संरक्षण के लिए एक और योजना प्रारंभ की गई है, जिसके तहत सभी जिलों में बीपीएल परिवारों को 3-3 एलईडी बल्ब निःशुल्क दिए जा रहे हैं तथा एपीएल परिवारों को रियायती दर पर 5 एलईडी बल्ब दिए जा रहे हैं।
- अति उच्चदाब के 24 तथा उच्चदाब के 194 नए विद्युत उपकेन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं, जो गुणवत्तापूर्वक पारेषण और वितरण का आधार बनेंगे। राजनांदगांव, रायगढ़, जांजगीर-चांपा में 100-100 मेगावॉट के ‘सोलर पॉवर प्लांट’ लगाने की योजना है।
- नगरीय निकायों में ‘भागीरथी योजना’ के माध्यम से एक लाख 43 हजार निःशुल्क नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं, वहीं ग्रामीण अंचलों में ढाई लाख से अधिक हैण्डपम्पों तथा लगभग छह हजार स्थल योजनाओं के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। करीब 55 हजार शालाओं में पेयजल की व्यवस्था कर दी गई है।
- ग्रामीण अंचलों में भी घरेलू नल कनेक्शन देने के अभियान के तहत 2 लाख 37 हजार कनेक्शन दिए जा चुके हैं। सौर ऊर्जा से संचालित पम्पों के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने वाला, देश का पहला राज्य भी छत्तीसगढ़ बन गया है। प्रदेश में अब तक ऐसे ढाई हजार सोलर-पम्प स्थापित किए जा चुके हैं।
- रायपुर का चयन देश की अत्यन्त महत्वाकांक्षी ‘स्मार्ट-सिटी’ परियोजना के लिए किया गया है
- ‘अमृत मिशन’ के तहत एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में उन्नत अधोसंरचना के विकास हेतु चार वर्षीय परियोजना शुरू की गई है।
- 70 शहरों में 369 आधुनिक सिटी बसें शुरू हो गई हैं।
- ग्रामीण अंचलों में गरीब परिवारों के मुखिया या कमाऊ सदस्य की मृत्यु होने पर 2 हजार रू. की एकमुश्त तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु ‘श्रद्धांजलि योजना’ शुरू की गई है। महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत जरूरत के अनुरूप पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने में हम सफल हुए हैं। इतना ही नहीं, मनरेगा में काम कर चुके परिवारों के एक-एक सदस्य को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
- हमने महिलाओं को तात्कालिक संकट से उबारने के लिए टोल फ्री ‘महिला हेल्पलाइन 181’ शुरू की है। ‘सखी’ वन स्टॉप सेंटर स्थापित करने वाले हम देश के पहले राज्य बन गए हैं।
- अब संकटग्रस्त बच्चों की सहायता के लिए भी टोल फ्री ‘चाइल्ड हेल्पलाइन 1098’ का विस्तार सभी जिलों में किया जा रहा है।
- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने महिलाओं को धुआंरहित रसोई का उपहार देने के लिए ‘उज्ज्वला योजना’ शुरू की है, जिसके तहत प्रदेश की लगभग 25 लाख महिलाओं को रियायती दर पर रसोई गैस उपलब्ध कराएंगे। हमने राज्य में इस पहल को आगे बढ़ाते हुए मात्र 200 रू. की रजिस्ट्रेशन राशि पर गैस कनेक्शन के साथ दो बर्नर वाला गैस चूल्हा और पहला भरा सिलेण्डर देने का निर्णय लिया है।
- ‘जन्म सहयोगी कार्यक्रम’ के तहत प्रसूति कक्ष में महिला के साथ उनकी निकट परिचिता के रहने की सुविधा दी गई है, ताकि भावनात्मक सहयोग मिले व प्रसव सुरक्षित हो।
- ‘चिरायु कार्यक्रम’ के अन्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों में वर्ष में दो बार तथा स्कूलों में वर्ष में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। 300 चिकित्सकों की भर्ती से मरीजों को बेहतर सेवा मिल रही है।
Read More with full Details – DPRCG
Source :- DPRCG
cgpsc news chhattisgarh.
No comments:
Post a Comment