Exam Materials : सिंधु घाटी सभ्यता – मुख्य स्थल

September 11, 2016    

हड़प्पा

हड़प्पा 6000-2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। मोहनजोदड़ो, मेहरगढ़ और लोथल की ही शृंखला में हड़प्पा में भी पुर्रात्तव उत्खनन किया गया। यहाँ मिस्र और मैसोपोटामिया जैसी ही प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले है। इसकी खोज 1920 में की गई। वर्तमान में यह पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित है। सन् 1857 में लाहौर मुल्तान रेलमार्ग बनाने में हड़प्पा नगर की ईटों का इस्तेमाल किया गया जिससे इसे बहुत नुक़सान पहुँचा।

मोहनजोदड़ो

मोहन जोदड़ो, जिसका कि अर्थ मुर्दो का टीला है 2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। हड़प्पा, मेहरगढ़ और लोथल की ही शृंखला में मोहन जोदड़ो में भी पुर्रात्तव उत्खनन किया गया। यहाँ मिस्र और मैसोपोटामिया जैसी ही प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले है। इस सभ्यता के ध्वंसावशेष पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के ‘लरकाना ज़िले’ में सिंधु नदी के दाहिने किनारे पर प्राप्त हुए हैं। यह नगर क़रीब 5 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। मोहनजोदड़ों के टीलो का 1922 ई. में खोजने का श्रेय ‘राखालदास बनर्जी’ को प्राप्त हुआ।

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चन्हूदड़ों

मोहनजोदाड़ो के दक्षिण में स्थित चन्हूदड़ों नामक स्थान पर मुहर एवं गुड़ियों के निर्माण के साथ-साथ हड्डियों से भी अनेक वस्तुओं का निर्माण होता था। इस नगर की खोज सर्वप्रथम 1931 में ‘एन.गोपाल मजूमदार’ ने किया तथा 1943 ई. में ‘मैके’ द्वारा यहाँ उत्खनन करवाया गया। सबसे निचले स्तर से ‘सैंधव संस्कृति’ के साक्ष्य मिलते हैं।

लोथल

यह गुजरात के अहमदाबाद ज़िले में ‘भोगावा नदी’ के किनारे ‘सरगवाला’ नामक ग्राम के समीप स्थित है। खुदाई 1954-55 ई. में ‘रंगनाथ राव’ के नेतृत्व में की गई। इस स्थल से समकालीन सभ्यता के पांच स्तर पाए गए हैं। यहाँ पर दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी।

रोपड़

पंजाब प्रदेश के ‘रोपड़ ज़िले’ में सतलुज नदी के बांए तट पर स्थित है। यहाँ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सर्वप्रथम उत्खनन किया गया था। इसका आधुनिक नाम ‘रूप नगर’ था। 1950 में इसकी खोज ‘बी.बी.लाल’ ने की थी।

कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियां)

यह स्थल राजस्थान के गंगानगर ज़िले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है। खुदाई 1953 में ‘बी.बी. लाल’ एवं ‘बी. के. थापड़’ द्वारा करायी गयी। यहाँ पर प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं।

सूरकोटदा

यह स्थल गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित है। इसकी खोज 1964 में ‘जगपति जोशी’ ने की थी इस स्थल से ‘सिंधु सभ्यता के पतन’ के अवशेष परिलक्षित होते हैं।

आलमगीरपुर (मेरठ)

पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में यमुना की सहायक हिण्डन नदी पर स्थित इस पुरास्थल की खोज 1958 में ‘यज्ञ दत्त शर्मा’ द्वारा की गयी।

रंगपुर (गुजरात)

गुजरात के काठियावाड़ प्राय:द्वीप में भादर नदी के समीप स्थित इस स्थल की खुदाई 1953-54 में ‘ए. रंगनाथ राव’ द्वारा की गई। यहाँ पर पूर्व हडप्पा कालीन सस्कृति के अवशेष मिले हैं। यहाँ मिले कच्ची ईटों के दुर्ग, नालियां, मृदभांड, बांट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ धान की भूसी के ढेर मिले हैं। यहाँ उत्तरोत्तर हड़प्पा संस्कृति के साक्ष्य मिलते हैं।

बणावली (हरियाणा)

हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के अवषेश मिले हैं।  हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में ‘रवीन्द्र सिंह विष्ट’ के नेतृत्व में की गयी।

अलीमुराद (सिंध प्रांत)

सिंध प्रांत में स्थित इस नगर से कुआँ, मिट्टी के बर्तन, कार्निलियन के मनके एवं पत्थरों से निर्मित एक विशाल दुर्ग के अवशेष मिले हैं। इसके अतिरिक्त इस स्थल से बैल की लघु मृण्मूर्ति एवं कांसे की कुल्हाड़ी भी मिली है।

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सुत्कागेनडोर (दक्षिण बलूचिस्तान)  – यह स्थल दक्षिण बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे स्थित है।

Original Content  : Bharat Discovery

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Exam Materials : सिंधु घाटी सभ्यता – मुख्य स्थल 4.5 5 Yateendra sahu September 11, 2016 हड़प्पा हड़प्पा 6000-2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। मोहनजोदड़ो, मेहरगढ़ और लोथल की ही शृंखला में हड़प्पा में भी पुर्रात...


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