हड़प्पाकालीन सभ्यता से सम्बन्धित कुछ नवीन क्षेत्र
खर्वी (अहमदाबाद) – अहमदाबाद से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान से हड़प्पाकालीन मृदभांड एवं ताम्र आभूषण के अवशेष मिले है।
कुनुतासी (गुजरात) – गुजरात के राजकोट ज़िले में स्थित इस स्थल की खुदाई ‘एम.के. धावलिकर’, ‘एम.आर.आर. रावल’ तथा ‘वाई.एम. चितलवास’ द्वारा करवाई गई।
धौलावीरा – इस स्थल की खुदाई से विशाल सैन्धव कालीन नगर के अवशेष का पता चलता है।
कोटदीजी (सिंध प्रांत) – सिंध प्रांत के ‘खैरपुर’ नामक स्थान पर यह स्थल स्थित है। सर्वप्रथम इसकी खोज ‘धुर्ये’ ने 1935 ई. में की । नियमित खुदाई 1953 ई. में फज़ल अहमद ख़ान द्वारा सम्पन्न करायी गयी।
बालाकोट (बलूचिस्तान) – नालाकोट से लगभग 90 किमी की दूरी पर बलूचिस्तान के दक्षिणी तटवर्ती पर बालाकोट स्थित था। इसका उत्खनन 1963-1970 के बीच ‘जॉर्ज एफ.डेल्स’ द्वारा किया गया ।
अल्लाहदीनों (अरब महासागर) – अल्लाहदीनों सिन्धु और अरब महासागर के संगम से लगभग 16 किलोमीटर उत्तर-पूर्व तथा कराची से पूर्व में स्थित है। 1982 में ‘फेयर सर्विस’ ने यहाँ पर उत्खनन करवाया था।
माण्डा – चेनाब नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित यह विकसित हड़प्पा संस्कृति का सबसे उत्तरी स्थल है। इसका उत्खनन 1982 में ‘जे.पी. जोशी’ तथा ‘मधुबाला’ द्वारा करवाया गया था। उत्खनन से प्राप्त यहाँ से तीन सांस्कृतिक स्तर प्राक् सैन्धव, विकसित सैंधव, तथा उत्तर कालीन सैंधव प्रकाश में आए। यहाँ विशेष प्रकार के मृदभांड (मिट्टी के बर्तन), गैर हड़प्पा से सम्बद्ध कुछ ठीकरा पक्की मिट्टी की पिण्डिकाएं (टेराकोटा केक) आदि प्राप्त हुए है।
भगवानपुरा (हरियाणा) – भगवानपुरा हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले में सरस्वती नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। जी.पी. जोशी ने इसका उत्खनन करवाया था। यहाँ के प्रमुख अवशेषों में सफ़ेद, काले तथा आसमानी रंग की कांच की चूड़ियां, तांबे की चूड़ियां प्रमुख है।
देसलपुर (गुजरात) – गुजरात के भुज ज़िले में स्थित ‘देसलपुर’ की खुदाई ‘पी.पी. पाण्ड्या’ और ‘एक. के. ढाके’ द्वारा किया गया । बाद में ‘सौनदरराजन’ द्वारा भी उत्खनन किया गया।
रोजदी (गुजरात) – रोजदी गुजरात के सौराष्ट्र ज़िले में स्थित था।
Original Content : Bharat Discovery
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