संविधान की ग्यारहवीं एवं बारहवीं अनुसूची को संशोधित करके इस प्रकार का स्वरूप दिया जान चाहिए जिससे देश में पंचायतों एवं नगरपालिकाओ हेतु पृथक राजकोष की स्थापना की जा सके। सभी राज्यो में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राजी पंचायत परिषद का गठन किया जाना चाहिए। विकेन्द्रीकरण (पंचायत एवं नगरपालिकाएँ) के संबंध में संविधान समीक्षा आयोग की सिफ़ारिश 2000के रिपोर्ट मे किया गया है।
पंचायतों एवं नगरपालिकाओ को स्पष्टतया स्व शासन की संस्थाए के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए तथा उन्हे व्यापक शक्तियाँ दी जानी चाहिए। भारत के निर्वाचन आयोग को राज्य निर्वाचन आयोगो को उनके कार्यों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार होना चाहिए।
लेखा जांच के कार्यों में एकरूपता लाने के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को यह अधिकार दिया जाना चाहिए कि वह पंचायतों कि भी लेखा जांच कर सके या उनके लिए लेखा मानको का निर्धारण कर सके।
स्थानीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों के निर्वाचन से संबंधित सभी प्रकार की अर्हताओं एवं गैर-अर्हताओं को एक ही नियम द्वारा शासित किया जाना चाहिए।
सीटो का परिसीमन, आरक्षण एवं चक्रण से संबंधित कार्यों का दायित्व राजी निर्वाचन आयोग के स्थान पर परिसीमन आयोग के पास होना चाहिये।
नगरपालिकाओं के लिए विशिष्ट और पृथक कर क्षेत्र अवधारणा को मान्यता दी जानी चाहिए।
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